फल एवं फूलों के झड़ने के कारण एवं रोकथाम

जब फलों के पौधे रोपित किए जाते हैं तो उद्देश्य होता है कि उन वृक्षों में ज्यादा मात्रा में फल एवं फूल आए और पैदावार अच्छी हो और उतना ही जरूरी फूल से फल बनना और परिपक्व होना है

फूल से फल बनना एक जटिल क्रिया होती है और यह क्रिया वृक्षों में कई प्रकार के धटको द्वारा प्रभावित होती है साधारण तौर पर फलों के वृक्षों पर बहुत अधिक मात्रा में फूल आते हैं लेकिन फलों के बगीचे की अच्छी देखरेख के बावजूद इन सभी फूलों से फल नहीं बन पाते फूल परिपक्व होकर फल बनने के पहले ही गिर जाते हैं

phalo evan phulo ke jhadne ki samasya

तो आइए जानते हैं इसकी समस्याएं कारण व निदान के बारे में

फल एवं फूलों के झड़ने के कारण

  • पोषक तत्वों की कमी : कई बार सही मात्रा में फल व फूलों के पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाते जिसके कारण वे पूर्ण विकसित नहीं हो पाते हैं और गिर जाते हैं पौधे में स्फुर, गंधक, बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि तत्वों का होना बहुत जरूरी होता है
  • जल की कमी : पर्याप्त जल की कमी के कारण वृक्ष पोषक तत्वों को भूमि से अपनी जड़ों के द्वारा अवशोषित नहीं कर पाते जिसके कारण फूलों व फलों में कई प्रकार के तत्वों की कमी हो जाती है और वह गिरने लगते है
  • अनुकूल वातावरण न मिलना : वायुमंडल में हवा में नमी कम हो जाने के कारण फलों व फूलो का झड़ना आरंभ हो जाता है और आद्रता कम होने से वाष्पोत्सर्जन की क्रिया अधिक होने लगती है तापमान अधिक होने से हवा में आद्रता कम हो जाती है और कम नमी वाले सूखे क्षेत्रों में फल झड़ने की संभावना अधिक रहती है और तेज हवा ओले आदि के कारण भी फल व फूल झड़ जाते हैं
  • कीटो से बचाव : विभिन्न प्रकार के कीट एवं सूक्ष्मजीवों के पौधों में लगने से फल एवं फूल झड़ने लगते हैं
  • कार्बोहाइड्रेट की मात्रा : फलों को बनाने और उन को विकसित करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है और अगर पौधों में कार्बोहाइड्रेट का स्तर कम होता है तो फलों के झड़ने की समस्या अधिक होने लगती है
  • हार्मोन का स्तर : पौधों में ऑक्सिन, एसिटिक एसिड, इथाईलीन का स्तर का संतुलन बिगड़ने पर भी फलों व फूल झड़ने लगते हैं

फल एवं फूलों के झड़ने से रोकने के उपाय

फलों एवं फूलों को झड़ने से रोकने के लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिससे कई हद तक फलों व फूलों के झड़ने की क्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है

  • पोषक तत्वों का छिड़काव : पौधों में समय-समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाना चाहिए इसमें मुख्य रूप से नींबूवर्गीय फलों में जिंक एवं बोरान के अलावा वर्मीवाश (Vermiwash) का छिड़काव महत्वपूर्ण व लाभदायक सिद्ध होता है
  • सिंचाई : समय-समय पर आवश्यकता अनुसार फलों के बगीचे में सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे बगीचे के वृक्षों में पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहे, ध्यान रहे जरूरत से ज्यादा सिंचाई भी नुकसान दायी हो सकती है।
  • जुदाई एवं गुड़ाई : फलों के बगीचे में समय-समय पर जुताई व गुड़ाई, काट-छांट व गोबर की पकी हुई खाद या केंचुआ खाद (Vermicompost) का इस्तमाल समय पर किया जाना जरूरी है
  • कीट नियंत्रण : फलों के वृक्षों में कट व खरपतवार अधिक मात्रा में हानि पहुंचाते हैं इनका समय समय कृषि विशेषज्ञो के परामर्श से उपचार किया जाना चाहिए
  • हार्मोन का संतुलन बनाए रखना : सामान्य फलों के वृक्षों में हार्मोन के असंतुलन के कारण भी अधिक नुकसान होता है हार्मोन का संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रकार के छिड़काव किए जाते हैं परंतु यह छिड़काव कृषि वैज्ञानिकों की राय के बगैर नहीं करना चाहिए इससे पौधों को नुकसान भी हो सकता है

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