रक्षाबंधन को बनाने का दिन इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को है, लेकिन इस दिन सुबह 10:38 से भद्रा लग जाएगा, इस कारण भद्रा में रक्षाबंधन मनाना शुभ नहीं माना जा सकता हे।
भद्रा : 11 अगस्त को सुबह 10:38 से रात्रि 8:52 तक रहेगी
उपरोक्त समय के मध्य रक्षाबंधन यानी राखी नहीं बांधी जा सकती
विषय-सूची
रक्षाबंधन हेतु शुभ मुहूर्त भारतीय समय अनुसार
- 11 अगस्त 2022 को प्रातः 6:12 AM से 7:50 AM तक
- 11 अगस्त 2022 को रात्रि 8:52 PM से 9:49 PM तक श्रेष्ठ समय रहेगा. (सूर्यास्त के बाद रक्षाबंधन बनाना उचित नहीं है)
“12 अगस्त को सूर्य उदय के पश्चात अच्छा चौघड़िया देख कर किसी भी वक्त रक्षाबंधन बनाना अधिक उचित रहेगा“
“इसके बाद भी यदि किसी के मन में कोई भी संदेह हो तो वह किसी भी अफवाह और आधी अधूरी जानकारी से भ्रमित ना होते हुए पूर्ण हर्ष व उल्लास व आनंद के साथ जन्माष्टमी के दिन भी रक्षाबंधन का पर्व बना सकता है“
रक्षाबंधन का त्यौहार बनाने की विधि
श्रवण कुमार पूजन की विधि
राखी बांधने से पहले हिंदू मान्यताओं के अनुसार श्रावण पूजन की विधि की जाती है
निम्न विधि के अनुसार श्रवण का पूजन करें
श्रवण कुमार की आकृति को गेरू के रंग से दो कोरे कागजों पर बनाकर अपने घर के मुख्य दरवाजे के दाएं एवं बाएं दोनों तरफ चिपका दें
श्रवण कुमार की आकृति किस प्रकार बना सकते हैं
श्रवण कुमार पूजन सामग्री
- राखी
- खीर
- पूरी
- हल्दी
- कुमकुम
- चावल के दाने
- जल का लोटा
श्रवण कुमार पूजन विधि
- श्रवण कुमार के चित्र घर के मुख्य दरवाजे के दोनों तरफ चिपका ले
- श्रवण कुमार को जल के छींटे पुष्प के माध्यम से दें
- हल्दी कुमकुम चावल लगाएं पूरी खीर लेकर राखी चित्रों पर चिपका दें हाथ जोड़कर प्रार्थना करें
- इसके बाद भाई को तिलक करके नारियल देकर मिठाई खिलाकर राखी बांधे
उपरोक्त विधि के अनुसार रक्षाबंधन पर मनाए.
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इसके अलावा कई ज्योतिषियों का मानना है कि 11 अगस्त 2022 की पूर्णिमा को संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में रहेगा एवं श्रवण नक्षत्र भी इसी दिन रहेगा.
चंद्रमा के मकर राशि में होने से भद्रा का वास इस दिन पाताल लोक में रहेगा, पाताल लोक में भद्रा के रहने से यह शुभ फलदायी रहेगी। इसीलिए पूरे दिन सभी लोग अपनी सुविधा के अनुसार अच्छे चौघड़िए के अनुसार राखी बांधकर त्यौहार बना सकते हैं
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार जब कन्या तुला धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है, तो वहां उसी लोक में प्रभावी रहती है। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदाई होगी