प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को हिस्सेदार या पार्टनर नहीं बल्कि Shareholder या अंश धारक कहा जाता है एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम दो और अधिक से अधिक 200 Shareholder हो सकते हैं
प्रत्येक शेरहोल्डर को कंपनी के net profit शुद्ध मुनाफे में से उनके द्वारा लगाई गयी पूंजी के अनुपात में लाभ का वितरण किया जाता है, हानि होने की दशा में प्रत्येक शेरहोल्डर को उतनी ही रकम का नुकसान होगा जितना उसने कंपनी में लगाया था।
कंपनी से तात्पर्य ऐसी कंपनी से है जिसका पंजीयन भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 2(20) के अंतर्गत या उससे पहले किसी अधिनियम के अंतर्गत किया गया हो।
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की विशेषताएं
- चुकता पूंजी : पूर्व में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की शुरुआत करने के लिए कंपनी की चुकता पूंजी कम से कम 1 लाख रुपये प्रबंध का प्रावधान था, लेकिन अब यह आवश्यक नहीं है
- सदस्य संख्या : प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कम से कम 2 और अधिक से अधिक सदस्य संख्या 200 हो सकती है
- निजी कंपनी के नाम : किसी भी निजी कंपनी को अपने नाम के साथ प्राइवेट लिमिटेड या पीवीटी एलटीडी शब्द लगाना अनिवार्य है
- सीमित देवता लिमिटेड लायबिलिटी : प्रत्येक Shareholder या सदस्य का दायित्व सीमित होता है कंपनी में हानि, घाटा, दिवालीया ऋणों के भुगतान की अवस्था में प्रत्येक शेरहोल्डर को उतनी ही रकम का नुकसान होगा जितनी पूंजी उन्होंने कंपनी में लगाई है, उसकी अपनी निजी व व्यक्तिगत संपत्ति सुरक्षित रहती है
- किसी सदस्य की मृत्यु होने पर : यदि कंपनी के किसी Shareholder या सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो उस दशा में सदस्य के उत्तराधिकारी के द्वारा उसके स्थान की पूर्ति कर लिया जाता है और यदि कंपनी दिवालिया या बंद करने की दशा में अपने shares को अन्य किसी व्यक्ति में हस्तांतरित कर देती है
- प्रोस्पेक्टस : प्रोस्पेक्ट एक विस्तृत विवरण है जो किसी कंपनी द्वारा सार्वजनिक रूप से जारी किया जाता है हालांकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को प्रोस्पेक्ट जारी करने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह कंपनियां जनता को कंपनी शेरों की सदस्यता के लिए आमंत्रित नहीं करती है
- कंपनी निर्देशकों की संख्या : एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को न्यूनतम दो निर्देशकों की आवश्यकता होती है, इसमें निर्देशक और Shareholder एक ही लोग हो सकते हैं भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 149 में निर्देशक के बारे में बताया गया है की दो निर्देशक में एक भारतीय अवश्य होना चाहिए
- सर्वमुद्रा : कंपनी की अपनी सर्वमुद्रा होती है अर्थात कंपनी का अपना लोगो होता है, जिस पर कंपनी के डायरेक्टर के हस्ताक्षर द्वारा किसी भी प्रपोजल को मंजूरी दी जाती है इसको यह माना जाता है कि यह मंजूरी कंपनी द्वारा दी गई है
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लाभ
- लाभों में हिस्सा : अपने द्वारा लगाए गए धन के अनुपात में अंश धारकों को शुद्ध लाभ में से हिस्सा मिलता है
- अंशु हस्तांतरण : प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का सदस्य या अंशधारी अपना अंश या shares किसी को भी बेच सकता है और इस प्रकार कंपनी को निरंतर किसी भी व्यवधान के बिना चलाया जा सकता है
- प्रबंध में हिस्सा : कंपनी के सभी अंश धारकों को कार्य करना तो दूर प्रबंध में हिस्सा लेना भी अनिवार्य नहीं है
- सीमित दायित्व : कंपनी के दिवालिया अथवा बंद हो जाने पर भी कोई व्यक्ति Shareholder से अतिरिक्त धन वसूल नहीं कर सकता अथवा अन्य धारकों व सदस्यों का दायित्व कंपनी में सीमित होता है
- टैक्स में लाभ : प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र की अपेक्षा अधिक कर लाभ प्राप्त कर सकती है यहां कंपनी निगम कर देती है किंतु उच्च करों के भुगतान में छूट मिल जाती है
- पूंजी का प्रबंध : प्राइवेट लिमिटेड कंपनी डिवेंचर के साथ ही Shareholder से धन उधार ले सकती है, और कंपनी के संचालन के लिए पर्याप्त पूंजी का प्रबंध कर सकती है
- विकल्प : आपके पास पार्टनरशिप फॉर्म को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में Convert करवाने का विकल्प हमेशा मौजूद रहता हैं
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की सीमाएं
- स्वयं की पूंजी : एक निजी कंपनी अपने शेरों व डिवेंचर की सदस्यता के लिए जनता को आमंत्रित नहीं कर सकती है. इसे अपनी पूंजी या धन जुटाने के लिए अपनी निजी व्यवस्था करना होती है
- प्रतिबंधित shares के हस्तांतरण की सीमितता : कोई भी निजी कंपनी सार्वजनिक कंपनियों की तरह अपने shares को सार्वजनिक रूप से हस्तांतरित नहीं कर सकती है यह कारण है कि स्टॉक एक्सचेंज कभी भी निजी कंपनियों को सूचीबद्ध कि नहीं करते हैं
- कृत्रिम इकाई : भारतीय कंपनी अधिनियम के तहत पंजीकृत कंपनी एक कृत्रिम व कानूनी इकाई है,
- जिसका अपने सदस्यों से पृथक अस्तित्व है
- यह अनुबंध व मुकदमा कर सकती है
- इसके नाम पर मुकदमा दायर किया जा सकता है
- इसका कोई भौतिक शरीर नहीं है लेकिन कानूनी तौर पर यह मौजूद है
संचालन व कर्मचारी वेतन संबंधित नियम
प्रबंध व्यवस्था और नीतियों के निर्धारण एवं क्रियान्वयन हेतु सभी अंशधारको को मिलकर एक प्रबंध निर्देशक मैनेजिंग डायरेक्टर और अधिकतम 6 अन्य निर्देशक चुने जासकते है
मैनेजिंग डायरेक्टर एवं अन्य डायरेक्टर से सलाह मशवरा लेता है नीतियों के निर्धारण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है परंतु प्रबंध और व्यवस्था का कानूनी उत्तरदायित्व मैनेजिंग डायरेक्टर का ही होता है मैनेजिंग डायरेक्टर और अन्य डायरेक्टर को तो प्रतिमा निश्चित वेतन मिलता ही है अन्य कोई अंश धारक भी यदि कंपनी में कार्य करते हैं तो वे भी पद और कार्य के अनुरूप में वेतन एवं अन्य सुविधाएं प्राप्त करते हैं
सभी डायरेक्टर और कार्य करने वाले Shareholder को यह वेतन लाभ हानि अथवा लगाई गई पूंजी के अनुपात में नहीं बल्कि पद के अनुसार सामान्य कर्मचारियों के समान ही प्रतिमा देय होता है व्यवहारिक रूप में तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों का संचालन सामान्य साझेदारी के संस्थान के समान ही होता है
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का रजिस्ट्रेशन
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना के लिए आपको Ministry of Corporate Affairs (MCA) आवेदन देना होता है चाहे एक ही परिवार के व्यक्ति मिलकर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाएं उन्हें कंपनी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रूप से करवाना होता है
आवश्यक जानकारी जैसे :
- कंपनी का नाम
- मुख्य ऑफिस का पूरा पता
- सभी शेरहोल्डर्स का पूर्ण विवरण व जानकारी
- शेरहोल्डर के द्वारा लगाई गई पूंजी का विवरण
- कंपनी की स्थापना का उद्देश्य
आदि सभी की पूर्ण जानकारी रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के कार्यालय में देनी होती है उसके बाद स्थापना का आदेश मिल जाने के पश्चात कंपनी के बारे में सभी जानकारियां विस्तृत रूप से दी जाती हैं इन दस्तावेजों को Memorandum या articles of association कहा जाता है
इसके साथ ही और भी कोई आवश्यक फॉर्म भर कर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी के कार्यालय में निर्धारित फीस के साथ जमा किए जाते हैं यह प्रक्रिया अधिक जटिल तो नहीं है परंतु अधिक लंबी हो सकती है अतः इस प्रक्रिया हेतु वकील या CA /CS की सेवाएं लेना ही अधिक उपयुक्त रहता है
Private limited company को बंद करने और सदस्यों के इस्तीफा संबंधित नियम
जो कंपनी का जन्मदाता है वही कंपनी को बंद भी कर सकता है अर्थात कंपनी की शुरुआत भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 से होती है तो कंपनी बंद भी भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार की जा सकती है अर्थात कंपनी के शुरू व बंद करने की प्रक्रिया भारतीय कंपनी अधिनियम 2013 में दी गई है
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के किसी सदस्य की मृत्यु होने के पश्चात भी कंपनी बंद नहीं होती है लेकिन कंपनी में shares का हस्तांतरण संभव है प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के shares को कुछ प्रतिबंधों के साथ बेचा जा सकता है इस प्रकार सदस्यता भी स्वत ही हस्तांतरित हो जाती है