हिन्दू मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ अपने सुहाग (पति) की लंबी आयु के लिए मनाया जाता है, इसका वैज्ञानिक महत्व भी है करवा चौथ पर चांद का महत्व ज्यादा होता है क्योंकि सुहागिने चांद देखकर ही पूजन करती है अपने पति के द्वारा पानी पीती है और व्रत खोलती है साथ ही माना जाता है कि चंद्रमा ऊर्जा का प्रतीक है
जो भी सुहागने व्रत रखती हैं और चंद्रमा का इंतजार करती हैं तो चंद्रमा के दर्शन करके जो भी कामना करे वह निश्चित ही पूरी होती है क्योंकि इस दिन सुहागिन स्त्री चंद्रमा की तरह ही ऊर्जावान रहती है और चंद्रमा से अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती हैं तो वह निश्चित रूप से पूर्ण होती है इसलिए सुहागन स्त्रियां बड़े श्रद्धा भाव से करवा चौथ का व्रत रखती हैं
करवा चौथ क्यों मनाया जाता है ?
वैसे तो सभी के जन्म और मृत्यु का समय पूर्व से ही निर्धारित होता है, कि कौन कब जन्म लेगा और किसकी मृत्यु किस प्रकार होगी. यह सब पूर्व निर्धारित है, किंतु हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ पति पर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए किया जाता है, साथ ही घर की सुख समृद्धि और शांति के लिए भी सुहागिन औरतें इस व्रत को करती हैं.
करवा चौथ व्रत कब मनाया जाता है ?
हिन्दू कलैंडर के महीनों के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक माह में आता है शरद पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी के व्रत को ही करवा चौथ कहते हैं
2024 करवा चौथ कब है ?
इस वर्ष करवा चौथ 1/Nov/2024 को है.
करवा चौथ पूजा शुभ मुहूर्त
1 नवंबर 2024, बुधवार शाम 5:36 से 6:54 तक रहेगा .
अमृत काल : शाम 7:34 से 9:13 तक रहेगा .
करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा ?
दिल्ली : शाम 8 बजकर 07 मिनट पर चांद दिखेगा.
नोएडा : शाम 8 बजकर 06 मिनट पर चांद दिखेगा.
चंडीगढ़ : शाम 8 बजकर 06 मिनट पर चांद दिखेगा.
जयपुर : शाम 8 बजकर 18 मिनट पर आराम से चांद दिख जाएगा.
लखनऊ : शाम 7 बजकर 59 मिनट पर चांद का दीदार होगा.
पटना : शाम 7 बजकर 44 मिनट पर चांद की दीदार होगा.
मुंबई : शाम 8 बजकर 48 मिनट पर चांद निकलेगा.
बैंगलोर : शाम 8 बजकर 40 मिनट पर चांद निकलेगा.
चेन्नई : शाम 8 बजकर 29 मिनट पर चांद दिखाई देगा.
शिमला: शाम 8 बजकर 04 मिनट पर चांद दिखेगा.
गुरुग्राम : शाम 8 बजकर 11 मिनट पर चांद दिखेगा.
प्रयागराज : शाम 7 बजकर 57 मिनट पर दिखाई देगा.
पंचांग के अनुसार मध्य प्रदेश में चांद रात्रि 8:12 पर दिखाई देगा.
करवा चौथ कैसे मनाई जाती है ?
करवा चौथ के दिन सुहागिन औरतें सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात अपनी सास के द्वारा सूर्य उदय के पहले सरगी प्राप्त करती है सरगी में मिठाई, फल, मेवे, सुहाग का सामान आदि सास के द्वारा अपनी बहू को दिया जाता है सरगी में प्राप्त मिठाई, फल, मेवे आदि सूर्योदय के पहले ग्रहण कर सकती है.
सूर्योदय के बाद सुहागिन स्त्रीयां पुरे दिन निर्जल (बिना पानी पिये) रहकर करवा चौथ व्रत करती है
संध्या के समय अच्छे से तैयार होकर चौथ माता की विधि पूर्वक पूजा करती हैं करवा चौथ की कहानी सुनती हैं अन्य महिलाओं के साथ आपस में अपने करवे बदलती है फिर उन्हीं करवो का उपयोग वह चाँद की पूजा में करती है.
चाँद निकलने पर चांद की पूजा विधि अनुसार करती हैं उसके पश्चात चलनी में अपने पति के दर्शन करती हैं और उसी करवे से अपने पति के द्वारा पानी ग्रहण कर अपने पति से आशीर्वाद प्राप्त करती है चंद्रमा से अपने पति की लंबी आयु की कामना करने के पश्चात अपना व्रत खोलती है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस प्रकार करवा चौथ व्रत किया जाता है.
करवा चौथ व्रत की विधि
इस दिन कुम्हार के यहां से करवा लाकर जल से भरकर उसमें पूजा का सामान डालते हैं जैसे चने की भाजी, बोर, फूल, फल आदि और ऊपर से लाल कपड़ा लगाकर करवे का मुंह बांध देते है उसके ऊपर एक मिट्टी के दिये में मिठाई रखते हैं गैरु के रंग से दीवार पर चतुर्थी मनानी चाहिए और शाम को सभी सुहागन औरतें दीवार पर बनी चौथ माता और गणेश जी की पूजा करते हैं और दिन भर निर्जल रहकर व्रत रखते हैं इस दिन अपने पति से या सास, नंदन, जेठानी या छोटी बहन और इनके अलावा यदि समय पर कोई ना मिले तो किसी ब्राह्मणी के हाथ से करवा लेना चाहिए.
करवा पीते वक्त क्या कहते हैं ?
“जल धाई सुहागा नी धाई“
इस प्रकार सात बार बोल कर जो भी करवा पिलाता है उसे नेग रखकर देते हैं और रात में चंद्रमा को अगर देखकर व्रत खोलते हैं
इस दिन यदि कोई सुहागिन अपने व्रत का उद्यापन करना चाहती है तो वह 16 औरतें और एक चांद सूरज की इस प्रकार 17 औरतों को भोजन करवाती है और बाद में यथाशक्ति दान दक्षिणा देकर उद्यापन किया जा सकता है
करवा चौथ व्रत में लगने वाली पूजन सामग्री
- पूजा की थाली
- करवा (एक प्रकार मिट्टी का पात्र)
- दिया
- गैरु के रंग
- हल्दी
- कुमकुम
- चावल
- मेहंदी
- सिक्के
- सुपारी
- फल
- नारियल
- पान के पत्ते
- मिठाई या गुड
- हार-फूल
- चलनी
- सुहाग का सामान आदि
करवा चौथ की कहानी
एक साहूकार था, उसके सात बेटे व बहू तथा एक लड़की थी जिसका विवाह हो चुका था चौथ के दिन वह लड़की अपने पिहर आई उसी समय करवा चौथ आने पर सभी भाभीयों ने चौथ का व्रत किया तो वह नंद बोली की भाभी में भी चौथ का व्रत करूंगी, तब उसकी एक भाभी बोली बाईजी आप मत करो आप से भूखा नहीं रहा जा सकेगा, आपसे नहीं बनेगा लेकिन नंद ने उनकी बात नहीं मानी तथा व्रत रख लिया, दिन भर निकलने के बाद शाम होते होते नंद का भूख के कारण मुख उदास हो गया.
तभी उसके भाई आये और बहन से बोले चलो बहन अपन भोजन करें लेकिन तब बहन बोली मेरा व्रत है और मैं चंद्रमा देखकर ही भोजन करूंगी तब एक भाई बोला बहन चंद्रमा निकल आया चलो तुम्हे दर्शन करवाएं एक भाई चलनी लेने गया और दूसरा भाई छत पर चढ़ गया और तीसरा भाई पेड़ पर चल गया और कृत्रिम चन्द्रमा बनाकर बोला बहन वह देखो चंद्रमा, तभी वह अपनी भाभीयों से बोली कि भाभी आप भी चंद्रमा के दर्शन करो और भोजन करलो तब उसकी भाभी बोली कि आप दर्शन करो और भोजन करो आपका चंद्रमा निकला है हमारा नहीं.
उसके पश्चात नंद ने चंद्रमा देख अरघ देकर करवा पिया और भोजन करने बैठ गई पहले निवाले में बाल आ गया, दूसरा निवाले लिया और एकदम खड़ी हो गयी और तीसरा निवाला लेते ही उसके आदमी के मरने की खबर आ गई तब उसकी माँ ने कहा कि पेटी में जो कपड़ा पहले हाथ में आए वही पहनती जा तब उसने पेटी में हाथ डाला तो सफेद घाघरा और ओढ़नी हाथ में आयी तो वह वही पहन कर चली गई और रास्ते में सभी के पाव लगती गई.
वह पाव लगती लगती ससुराल पहुंची और घर में सभी के पाव पढ़ती गयी पर किसी ने आशीर्वाद नहीं दिया वहां एक छोटी बच्ची थी केवल उसीने उसे आशीष दिया कि दूधो नहाओ पूतो फलो और अखंड सौभाग्यवती रहो.
अब सभी गांव के लोग अंतिम यात्रा के लिये इकट्ठा हुए और उसके पति को ले जाने लगे तब वह बोली कि मेरे पति को किसी को नहीं ले जाने दूंगी, सब लोग परेशान हो गए और गांव के बाहर झोपड़ी बनाकर उसमें उसके मुर्दे पति को रख दिया, वह अपने पति की सेवा करती रही एसा करते-करते दोबारा करवा चौथ का दिन आया.
उस दिन इन्द्र की अप्सरा उतरी और चौथ माता बनकर पूजा करने लगी, तब वह बोली की कोई पूजा मत करो क्योकि मैंने भी चौथ का व्रत किया था लेकिन मेरा पति मर गया, तब वह अप्सरा बोली की तूने बीच में ही व्रत भंग किया था जिसके कारण तेरा पति मर गया, तू आज भी चौथ का व्रत कर और जब चौथ माता आये तो उनके पावं में पड़ जाना.
तब उसने चौथ का व्रत किया और रात के बारह बजे तक चौथ माता का रास्ता देखा तभी चौथ माता विकराल रूप धारण करके आई बड़ी नाक, मुँह लाल, लम्बे बाल यह देख उसने चौथ माता के पाव पकड़ लिए तभी चौथ माता बोली की में तो करवा चौथ की छोटी बहन हुं, मुझसे बड़ी जो आएगी उसके पाव पड़ना एसे करते करते ग्यारहवे महीने की चतुर्थी आई और जब चौथ माता ऐसा कहकर गई की करवो लेओ सात भाइयों की बहन करवो लेओ. इस प्रकार वह बोली कि मुझसे जो बड़ी बहन आएगी वह तेरा सुहाग देगी.
अब ऐसा करते करते फिर से करवा चौथ आई, तो उसने सिर धोया, उपवास रखा, पूजा करी, करवा पिया और जब रात को चौथ माता आई तो उसने माता के जमकर पांव पकड़ लिए और बोली कि जब तक मेरे पति को जीवित नहीं करोगी में आपको नहीं जाने दूंगी.
तब चौथ माता ने अमृत के छीटे दिए और उसके पति को जीवित कर दिया, उसके पति जीवित हो उठा और दोनों ने चौथ माता से आशीर्वाद लिया एवं साथ में भोजन किया और नगर की ओर आए सभी को बहुत आश्चर्य हुआ, सभी ने मिलकर गाजे बाजे के साथ उसका स्वागत किया और उसने सभी से आशीर्वाद लिया और सभी लोगो ने चौथ माता से प्रार्थना की हे चौथ माता जैसा इसको सुहाग दिया वैसे ही सबको देना, अधूरी होय जो पूरी करजो पूरी होय तो मान करजो.
करवा चौथ की कहानी जो श्री कृष्ण ने द्रोपदी को सुनाई थी
एक बार पांडु पुत्र अर्जुन तपस्या करने के लिए नीलगिरी नामक पर्वत पर चले गए इधर पांडवों पर अनेक विपत्तियां पहले से व्याप्त थी इससे द्रोपदी ने शोकाकुल हो कृष्ण का ध्यान किया भगवान के दर्शन होने पर इन कष्टों के निवारण हेतु उपाय पूछा कृष्ण जी बोले हैं द्रोपती एक समय एक पर्वत ने शिव से इस प्रकार का ही प्रश्न किया था तो उन्होंने सभी विघ्नों के नाश के लिये इस “करवा चौथ” व्रत को ही बतलाया था.
हे पाञ्चाली , प्राचीन काल में एक गुणी, बुद्धिमान, धर्म परायण ब्राह्मण रहता था उसके चार पुत्र तथा एक गुणवंती पुत्री थी विवाहित होने पर करवा चौथ का व्रत किया किंतु चंद्रोदय के पूर्व ही उसे भूख ने बाध्य कर दिया यह देख उसके दयालु भाइयों ने छल से पीपल की आड़ में कृत्रिम चांद बनाकर दिखा दिया कन्या ने अरघ देकर भोजन किया, भोजन करते ही उसका पति मर गया उसी से दुखी होकर उसने अन्य जल छोड़ दिया उस रात्रि में इंद्राणी भू विचरण करने आई तभी ब्राह्मण कन्या ने इंद्राणी से अपने दुख का कारण पूछा इंद्राणी बोली तुम्हें करवा चौथ व्रत में चांद दर्शन के पूर्व भोजन कर लेने से यह कष्ट मिला है तब ब्राह्मण की कन्या ने अंजलि भरकर विनय किया कि इससे मुक्त होने का कोई साधन बतावें.
इंद्राणी बोली यदि तुम पुनः विधिवत करवा चौथ व्रत करो तो निश्चित ही तुम्हारे प्रति पुनर्जीवित हो जाएंगें.
इस रीती से उस कन्या ने वर्ष भर प्रत्येक चतुर्थी का व्रत किया और पति को प्राप्त किया. श्री कृष्ण ने कहा कि हे द्रोपती यदि तुम भी इस व्रत को करोगी तो तुम्हारे सभी संकट टल जाएगें, इस प्रकार द्रोपती ने करवा चौथ का व्रत किया तथा पांडवों की विजयी हुई .
अतः सौभाग्य ,पुत्र, पुत्रादी और धन-धान्य के इछुक व्यक्तियों को यह व्रत विधि पूर्वक करना चाहिए
FAQ
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करवा चौथ का चांद कितने बजे निकलेगा ?
1 नवंबर 2024, बुधवार रात्रि 8:12 पर दिखाई देगा.
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करवा चौथ क्यों मनाया जाता है ?
वैसे तो सभी के जन्म और मृत्यु का समय पूर्व से ही निर्धारित होता है कि कौन कब जन्म लेगा और किसकी मृत्यु किस प्रकार होगी. यह सब पूर्व निर्धारित है, किंतु हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ अपने सुहाग पर आने वाले संकटों को दूर करने के लिए किया जाता है, साथ ही घर की सुख समृद्धि और शांति के लिए भी सुहागिन औरतें इस व्रत को करती हैं.
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यदि पति घर पर न हो तो व्रत कैसे सम्पन कर सकते हैं ?
कई बार करवा चौथ का व्रत कर रही महिलाओं के सामने यह परिस्थिति उत्पन्न होती है कि वह करवा चौथ का व्रत कैसे खोलें यदि पति किसी कारणवश घर पर ना हो तो ऐसी स्थिति में सुहागिन चंद्रमा की पूजा करते समय तथा चंद्रमा को अरघ देते समय मन में अपने पति का ध्यान करके तथा घर की किसी अन्य महिला के द्वारा करवा पी सकती है और बदले में उन्हें कुछ नेग देकर करवा चौथ का व्रत संपन्न कर सकती है.
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करवे को पूजा के बाद कहां रखें ?
पूजा के बाद करवा चौथ के करवे को आप अपने घर के पूजा स्थल के पास सुरक्षित रख सकते हैं, और अगले दिन आप किसी मंदिर में या किसी नदी, तालाब या कुएं में विसर्जित कर सकते हैं इसके अलावा आप किसी वृक्ष के नीचे भी उसे रख सकते हैं क्योंकि यह मिट्टी का होता है तो इससे कोई प्रदूषण भी नहीं होगा.
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क्या करवा चौथ का व्रत हम बीच में छोड़ सकते हैं ?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ के व्रत को बीच में नहीं छोड़ा जा सकता, किंतु कोई शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी आकस्मिक समस्या होने पर या गर्भवती होने पर व्रत को टाला जा सकता है अथवा अपनी सुविधा अनुसार स्वास्थ्य को देखते हुए किया जा सकता है.
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करवा चौथ के दिन अगर व्रत करना भूल जाये तो दुसरे दिन कर सकते हैं क्या ?
नहीं, इसके लिये आपको अगले वर्ष का इंतज़ार करना होगा.