कुटीर उद्योग का परिचय | Cottage Industry
कुटीर शब्द का वास्तविक अर्थ झोपड़ी से है लेकिन झोपड़ी में किये जाने वाले कार्य अथवा व्यवसाय से नहीं बल्कि ऐसे उद्योग से है जहां किसी दुकान अथवा घर 1-2 कमरों में कुछ उपकरण व सीमित तथा सामान्य मशीनें लगाकर किसी वस्तु का उत्पादन किया जाये उसे कुटीर उद्योग कहते है
कुटीर उद्योग क्या है?
ग्रामीण क्षेत्रों में तो वंश परंपरा एवं अनेक परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस स्तर पर कार्य करते आ रहे हैं प्रायः पूरा ही परिवार कुटीर उद्योग में उत्पादित होने वाली वस्तुओं के निर्माण में लगा रहता है इस प्रकार के उद्योग को चलाने वाला व्यक्ति स्वयं व्यवसाय का स्वामी होता है और वही कर्मचारी है
जिन व्यक्तियों के पास पूंजी का पूर्ण अभाव है और कोई विशेष तकनीकी अनुभव व दक्षता नहीं है तो वह भी इस स्तर पर अनेक आधुनिक उद्योग प्रारंभ कर सकते हैं
कुटीर उद्योग की परिभाषा
कुटीर उद्योग वे उद्योग हैं जिनका ग्रामीण अथवा शहरी क्षेत्रों में एक ही परिवार के सभी अथवा कुछ सदस्यों द्वारा पूर्ण रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी संचालन किया जाता है
कुटीर उद्योगों की विशेषताएं एवं लाभ
- न्यूनतम पूंजी निवेश और कम कीमत की मशीनों व उपकरणों का उपयोग इनकी सबसे बड़ी विशेषता है
- प्रायः पूरा परिवार का वस्तुओं के निर्माण में सहियोग देता है
- अच्छे से उद्यम संचालित करने पर समाज में अतिरिक्त रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं
- समाज या बाजार में अलग पहचान बनती है
- सरकार की ओर से कई सारी योजनाओं का लाभ प्राप्त होता है
- इसके अंतर्गत व्यवसाय करने से उचित दर पर मजदूर व कच्चा माल प्राप्त होता है
- स्वयं पर निर्भरता वह एकल स्वामित्व का होना
- कार्य करने की स्वतंत्रता
आदि इसकी विशेषताएं हैं
कुटीर उद्योगों की समस्याएं
- कुटीर उद्योगों के अंतर्गत कार्य करना मतलब अधिक परिश्रम और न्यूनतम लाभ प्रतिशत हासिल करना, यह सबसे बड़ी समस्या है
- किसी अन्य कर्मचारी को स्वामी द्वारा नहीं रखा जाता है
- उद्योग का स्वामी व उसके परिवार के लोग प्रायः कर्मचारी होते हैं
- इन उद्योग को चलाने वाले व्यक्ति उद्योग संचालक नहीं मात्र कारीगरी ही कहे जाते हैं
- इसके स्वामी व कर्मचारियों को कोई विशेष योग्यता व तकनीकी के ज्ञान नहीं होता है
- इसका व्यवसाय व क्षेत्र बहुत ही सीमित होता है
सरकार द्वारा कुटीर उद्योगों को दी जाने वाली सुविधाएं
उपरोक्त समस्याओं के चलते 20 सूत्रीय कार्यक्रम के अंतर्गत सरकार कुटीर एवं लघु उद्योगों को सहायता प्रदान कर रही है इन पर उत्पादन बिक्री या आयकर जैसे टैक्स भी नहीं लगाए गए हैं बल्कि इन्हें कम ब्याज दर पर बिना जमानत बैंकों से आसानी से ऋण प्राप्त हो जाता है साथ ही मशीनों की खरीद पर विशेष अनुदान व वित्तीय सहायता भी दी जाती है
कुटीर उद्योगों के प्रकार
- ग्रामीण (Rural Cottage Industries)
- नगरीय (Urban Cottage Industry)
ग्रामीण कुटीर उद्योग को दो प्रकार में बांटा गया है
- कृषि सहायक कुटीर उद्योग
- अन्य कुटीर उद्योग
1. कृषि सहायक कुटीर उद्योग
इसके अंतर्गत कृषि संबंधित उत्पादन किया जाता है जो कि प्रायः कच्चे माल की भूमिका निभाते हैं इसमें विशेषकर टोकरी बनाना, सूत काटना, चावल एवं दालों को तैयार करना, बीड़ी बनाना, अचार, पापड़ आलू चिप्स आदि उद्योग शामिल है
कृषि सहायक उद्योग का प्रारंभ व संचालन आसान है क्योंकि इसमें प्रयुक्त होने वाले जितने भी कच्चे माल होते हैं वह सभी आप के खेतों में या ग्रामीण क्षेत्रों के निकट आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं कृषि द्वारा निर्मित कच्चे माल से सम्बंधित व्यवसाय शुरू कर के अच्छे पैसे कमाए जा सकते हैं
2. अन्य कुटीर उद्योग
अन्य कुटीर उद्योगों में वे रोजगार आते हैं जिन पर कारीगरों की जीविका निर्भर करती है इसमें विशेष रूप से चटाई निर्माण, मिट्टी के बर्तन बनाना, लोहारी का काम और हस्त शिल्प का काम शामिल है
इसी प्रकार के अन्य किसी भी व्यवसाय को अपनी रूचि के अनुसार शुरू करना लाभदाई हो सकता है क्योंकि इसमें जितने भी कच्चे माल का उपयोग होता है वह आसानी से गांव में उपलब्ध रहता है और इन्वेस्टमेंट भी कम होता है
नगरीय कुटीर उद्योग को दो प्रकार में बांटा गया है
- किंचित नगरीय कुटीर उद्योग
- शहरी कुटीर उद्योग
1. किंचित नगरी कुटीर उद्योग
किंचित नगरिया कुटीर उद्योग में परंपरागत, कुशलता, दक्षता, अनुभव व कारीगरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है जैसे वाराणसी का जरी, लखनऊ का चिकन, जयपुर की रजाई, या महेश्वरी साड़ियां आदि निर्माण इसके उदाहरण के तौर पर लिए जा सकते हैं
2. शहरी कुटीर उद्योग
शहरी कुटीर उद्योग में अधिक मात्रा में आधुनिक तकनीकी व उपकरण तथा इसमें उपयोग आने वाली मशीनों का समावेश होता है इसमें विशेष रूप से हथकरघा सूती कपड़े, साड़ी, दरी आदि बनाई जाती है
कुटीर उद्योग में कौन-कौन से प्रकार के व्यापार आते हैं?
[2021] कुटीर उद्योग के कुछ उदाहरण
- हथकरघा की वस्तुएं
- कपड़ों की सिलाई व एंब्रॉयडरी
- बॉल पेन, पेन रिफिल का निर्माण
- चौक, पेम व स्लट बनाना
- इत्र, सेंट और अगरबत्ती बनाना
- मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाना
- लकड़ी के खिलौने बनाना
- चमड़े के जूते-चप्पल का निर्माण
- हथकरघा पर दरी, खेस और अन्य कपड़े बनाना
- कपड़ों की रंगाई छपाई
- धातु के बर्तन
- हस्त शिल्प
- लोहे और लकड़ी की विभिन्न वस्तुओं का निर्माण
- दोने पत्तल का निर्माण
- केंचुआ खाद बनाना
- पापड़, बड़ी, मंगोड़ी, अचार व मसाला आदि
बेरोजगारी दूर करने में कैसे सहायक?
जिन व्यक्तियों के पास पूंजी का पूर्ण रूप से आभाव है और किसी विशेष योग्यता अथवा तकनीकी क्षमता से भी रहित है वह इस स्तर पर आधुनिक उद्योग प्रारंभ कर सकते हैं इस हेतु सरकार MINISTRY OF MICRO, SMALL & MEDIUM ENTERPRISES (MSME) के तहत विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ऋण सुविधा, मशीनें, उपकरणों व कच्चे माल की प्राप्ति भी सरकार द्वारा रियायती दरों पर की जाती है
बेरोजगार युवा दर्जनों ऐसे उद्योगो में से इस स्तर पर अपनी रूचि के अनुसर प्रारंभ कर प्रथम दिवस से ही कुछ रोजी-रोटी अर्जित कर सकते हैं उदाहरण के तोर पर अधिकांश विद्युत उपकरणों का निर्माण तथा स्क्रीन प्रिंटिंग एवं फ्लेक्स होल्डिंग, बैनर, इनविटेशन कार्ड का निर्माण करने पर कुछ ही रुपए की सहायता से किसी भी शहर में कोई भी व्यक्ति आसानी से 8-10 हजार रुपय हर माह कमा सकता है
सैकड़ों इस प्रकार की वस्तुएं हैं जिन्हें बहुत ही छोटे स्तर पर आसानी से तैयार किया जा सकता है और कम प्रयास से ही बेहतर लाभ अर्जित किया जा सकता है